बस्तर जिले में मद्यपान से महिला उत्पीड़न के कारण व निवारण के उपाय
डाॅ. लक्ष्मी लेकाम1, सियालाल नाग2
1शोध निर्देशक, सहा. प्राध्यापक, राजनीति विज्ञान, भानुप्रतापदेव शा. स्नातकोत्तर महाविद्यालय,
कंाकेर (छ.ग)
2शोद्यार्थी, राजनीति विज्ञान, बस्तर विश्वविद्यालय, जगदलपुर (छ.ग.)
’ब्वततमेचवदकपदह ।नजीवत म्.उंपसरू ेपलंसंसदंह1/हउंपसण्बवउ
प्रस्तुत शोधपत्र में मद्यपान समाज का सबसे बड़ा दुश्मन है। बस्तर जिले में मद्यपान से महिला उत्पीड़न के कारण व निवारण के उपाय का अध्ययन विषय पर मद्यपान चिंतन करने की जरूरत है। सरकार के द्वारा मद्यपान को रोकने के उद्देश्य की पूर्ति के लिए जनजागरण अभियान तथा आबकारी अपराधों पर नियंत्रण के उद्देेश्य से भारत माता वाहनी का गठन किया गया है। इस गठन के माध्याम से सरकार के द्वारा शराब को रोकने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन इस योजना का वास्तविक रूप से क्रियान्वयन नहीं हो पाने के कारण आज भी बस्तर में मद्यपान एक समस्या का विषय है। बस्तर में महिला एवं पुरूष दोनों मद्यपान का सेंवन करते परन्तु इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव महिलाओं पर होता है। इस कारण समस्या का निदान समय रहते करना होगा, स्ंाविधान के अनुछेच्द 47 में राज्य शासन को मद्य निषेध के प्रयास करने चाहिए का उल्लेख किया गया है।
ज्ञम्ल्ॅव्त्क्ैरू महिलाओं पर मद्यपान और जीवन, क्षेत्रीय विकास में, प्रभाव एवं निवारण
प्रस्तावना:-
इस बात को सभी स्वीकार करेंगे कि मद्यपान और शराब जीवन का दुःखमय अन्त करती हैं। वह मनुष्य को मतवाला, पागल, जीवन रोगी बनाकर मृत्यु के द्वार तक ही नहीं ले जाती बल्कि अनेक घरों में कंगाली, दरिद्रता और सर्वनाश की पूर्णाहुति भी करती हैं।
शराब जीव के लिए तनिक भी आवश्यक नहीं। कुछ लोग इसे आनंद और भोग-विलास के लिए पीते हैं, कुछ संग-सोहबत के प्रभाव में पीने लगते हैं, परन्तु सभी इसके भयानक चरित्र को जानते हैं। परन्तु बस्तर मंे इसका प्रभाव सबसे ज्यादा होता है, इस कारण महिला उत्पीड़न हो रहा है। इसके निवारण के उपाय ढूढ़ना आवश्यक है। जो बस्तर के विकास को गति प्रदान कर सके।
अध्ययन क्षेत्र:-
अध्ययन क्षेत्र के रूप में भारत के नवोदित राज्य छत्तीसगढ़ मध्य बस्तर के बस्तर जिले का चयन किया गया है, जहां बस्तर जिले में मद्यपान से महिला उत्पीड़न के कारण व निवारण के उपाय का अध्ययन किया जाना है।
समस्या का चयन:-
प्रस्तुत शोध के अंर्तगत समस्या का चयन किया गया है। राजनीति विज्ञान का छात्र एवं बस्तर का निवासी होने के कारण बस्तर जिले में मद्यपान से महिला उत्पीड़न के कारण व निवारण के उपाय पर उत्सुकता मेरे मन में थी यह अवसर मुझे मिला है, अतः मैंने अपनी जिज्ञासा को शांत करने के लिये इस विषय का चयन किया।
उद्देश्यः-
1ण् बस्तर जिले में शराब का क्रय-विक्रय की स्थिति का समीक्षा कर तथ्य को ज्ञात करना।
2ण् स्थानीय लोगों व अन्य बाहरी लोगो के मध्य हो रहें सम्पर्क के प्रभाव का पता लगाना।
3ण् बस्तर जिले में विभिन्न प्रकार के मद्यपान की समस्या व अत्याचारों को ज्ञात करने का प्रयास किया जायेगा।
4ण् मद्यपान की समस्या के समाधान के उपाय बाताने का प्रयास किया जायेगा।
5ण् बस्तर जिले के विकास में महिला उत्पीड़न के प्रभावों को ज्ञात करना।
शोध प्रविधिः-
प्राथमिक एवं द्वितीय स्रोत से आंकडे संकलित है।
आवश्यकताः-
1ण् शराब मुक्त समाज का निर्माण करना।
2ण् मद्यपान के कारण उत्पन्न होने वाली बुराईयों से व्यक्ति, परिवार एवं समाज को अवगत कराना।
3ण् जागरूकता के माध्यम से अपराध मुक्त समाज बनाना।
4ण् मद्यपान के प्रति लोगों के बढ़ रहे रूझान को रोकना या कम करना।
5ण् मद्यपान के कारण लोगों में हो रहे नैतिक पतन को रोकना।
शराब के स्रोत:-
शराब अस्वाभाविक रीति से गेहूं, मक्का, ज्वार, चावल, महुआ, जौ, अंगूर और खजूर के रस से सड़ाकर बनाई जाती है। इसमें अल्कोहल का प्राधान्य रहता है। 109 औस शराब 70 औंस तक अल्कोहल रहता है। यह अल्कोहल भयानक विश है। यदि अल्कोहल थोड़ा भी एक मनुष्य को दिया जाय तो वह उसे मारने को काफी है। यदि जल में सौवां भाग अल्कोहल मिलाकर उसमें मछली को डाल दिया जाय तो वह मर जायगी। यदि अंडे़ की सफेदी को उसमें डालों तो वह तुरन्त सिमट जायगी तथा कड़ी हो जायगी ।
हम अपने दैनिक जीवन में अनेक तरल पेय पदार्थो का उपयोग करते रहते हैं, जैसे दूध, पानी, लेमन, सोडा, बर्फ, काफी, कोको आदि। इनमें अल्कोहल नहीं होता। इसके सिवा दूसरी श्रेणी के पेय हैं जैसे बीयर, विस्की, घर की बनी शराब, विलायती शराब, स्प्रिट, ताड़ी, दारू आदि ये सब नशा करती हैं क्योकि इन सब में नशे की जीवात्मा ‘अल्कोहल’ होता है।
शराब निर्माण एवं परीक्षणः-
अल्कोहल के परीक्षण का साधारण उपाय यह है कि मद्य को किसी रकाबी में रखकर नीचे हल्की आंच जलाओ तो रकाबी भभक उठेगी। भक से जल उठना अल्कोहल का प्रमाण है।
अब हमें इस बात पर विचार करना चाहिए कि अल्कोहल कहां से आती है। अल्कोहल प्राकृतिक रूप में किसी भी पदार्थ में नहीं बनती। वह रासायनिक विधि से सड़ाकर पैदा की जाती है और उससे शराब बनती है। जैसे जौ से बीयर, अंगूरों से वाइन, सेब से साइडर, नास्पाती से पेरी, शहद से मीड इत्यादि। इन शराबों की उत्तमता का यदि हम इसलिए बखान करें कि ये इतने सुन्दर फलों से बनी हैं तो यह मिथ्या है। क्योंकि दोंनो के गुण भिन्न-भिन्न होते है। जिस प्रकार पानी, पानी की भाप, पानी की बर्फ एक ही वस्तु की बनी होने पर भी भिन्न-भिन्न गुण रखती हैं इसी प्रकार शराब को भी समझना चाहिए।
विश्व के भिन्न-भिन्न प्रकार के शराबः-
स्ंासार में मद्य का जबरदस्त चक्र है। स्काट लोग विस्की पीते हैं, अंगरेज और जरमन बीयर पीते हैं। लेटिन लोग वाइन पीते हैं। पूर्वी अफ्रीका निवासी जिन पीते है। चीनी अफीम पीते हैं। आधुनिक अमेरिकन कोकीन पसन्द करते है। कुछ खास व्यक्ति खास रसों को सड़ाकर पीते हैं। यह सब इसकी मादकता की महिमा है। इस मादक विश को हमें विद्वानों की इन सम्मतियों में ढूंढना चाहिए:-
डाॅ. बी. डब्लू. रिचर्डसन एम. डी. अफ.आर. एस. ‘‘अल्कोहल जो भ्रमात्मक आनन्द क्रिया और शक्ति प्रदान करने वाला पदार्थ है, कब्र में दफनाये जाने योग्य है। किसी कवि, चिकित्सक धर्म पुरोहित और चित्रकार ने इससे प्रबल शैतान को नहीं देखा।
स्र वमगल बार्ट,एम.डी.ः- ‘‘मैं कहता हूं कि देष को नष्ट करने में अल्कोहल प्रबल योद्धा है।’’
प्रसिडेन्ट रूजवेल्टः-
‘‘शराबी और शराब बेचने वाले जब इच्छानुसार पीते हैं तब समाज और राजनीति दोनों ही के संगठन को नष्ट करते हैं।’’
तालिका क्रमांक 1 मंे अबकारी लक्ष्य एवं प्रप्तियां दर्शाया गया है जिसमें सन् 2015 में लक्ष्य से अधिक 18.66 प्रतिशत है और सन् 2016 मंे लक्ष्य से 41.30 प्रतिशत आय सरकार को प्राप्त हुआ है।
हम तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर यह कहा जाता है कि बस्तर जिला में अबकारी की लक्ष्य निर्धारित से अधिक है, जिससे यह मालूम होता है कि बस्तर में शराब कि ब्रिकी में निरंतर वृद्धि हो रही है। जिसके आधार पर यह के रहवासीयों के द्वारा शराब सेवन मंे भी वृद्धि हो रही है।
तालिका क्रमांक 2 में देशी मंदिरा की खपत ब्रिकी मात्रा दर्शाया गया है, जिसमें सन् 2015 में वृद्धि प्रतिशत 00.00 है जबकि सन् 2016 में वृद्धि प्रतिशत -9.69 है। बस्तर जिला में देशी मंदिरा की बात करे तो निरंतर कम हो रहा है और विदेशी मंदिरा की ओर उपयोगीता बढ़ रहा है।
तालिका क्रमांक 1 बस्तर जिला आबकारी आय लक्ष्य एवं प्राप्तियाॅ 2015-16 माह मार्च 2016
तालिका क्रमांक 2 देशी मंदिरा की खपत ब्रिकी मात्रा मार्च 2015-2016
तालिका क्रमांक 3 विदेशी मदिरा रिप्रट की खपत बिक्री मात्रा माह मार्च 2015-16
तालिका क्रमांक 4 विदेशी मंदिरा माल्ट की खपत बिक्रि मात्रा माह मार्च 2015-2016
तालिका क्रमांक 3 में विदेशी मंदिरा रिप्रट की खपत ब्रिकी मात्रा दर्शाया गया है जिसमें सन् 2015 में व्द्धि प्रतिशत 15.02 है जबकि सन् 2016 में वृद्धि प्रतिशत 9.52 है। अध्ययन के आधार पर स्थानीय व्यक्तियों के द्वारा विदेशी मंदिरा रिप्रट की उपयोग निरंतर बढ़ती जा रही है।
तालिका क्रमांक 4 में विदेशी मंदिरा माल्ट की खपत ब्रिकी मात्रा दर्शाया गया है जिसमें सन् 2015 में वृद्धि प्रतिशत 2.81 है, जबकि सन् 2016 में वृद्धि प्रतिशत 12.93 है। बस्तर जिला में विदेशी मंदिरा माल्ट का सेवन बढ़ता जा रहा है।
तालिका क्रमांक 5 में उपलंभन कार्य प्रकारण दर्शाया गया है जिसमें सन् 2015 में व्द्धि प्रतिशत 33.33 है, जबकि सन् 2016 में वृद्धि प्रतिशत 3.43 है। बस्तर जिला में उपंलभन कार्य प्रकारण में भी वृद्धि होती जा रही है।
तालिका क्रमांक 6 मंे अबकारी लक्ष्य एवं प्रप्तियां दर्शाया गया है जिसमें सन् 2017 में लक्ष्य से अधिक- 48.40 प्रतिशत है और सन् 2018 मंे लक्ष्य से - 31.66 प्रतिशत आय सरकार को प्राप्त हुआ है। शराब की बिक्री में निरंतर कम होती जा रही है। जिससे कह सकते है कि बस्तर में शराब सेवन में भी कमी आयेगी।
तालिका क्रमांक 5 उपलंभन कार्य प्रकारण माह मार्च 2015-16
तालिका क्रमांक 6 आबकारी आय लक्ष्य एवं प्राप्तियाॅ माह मार्च 2017-18
तालिका क्रमांक 7 देशी मंदिरा की खपत ब्रिकी मात्रा मार्च 2017-2018
तालिका क्रमांक 8 विदेशी मंदिरा रिप्रट की खपत बिक्री मात्रा माह मार्च 2017-18
तालिका क्रमांक 7 में देशी मंदिरा की खपत ब्रिकी मात्रा दर्शाया गया है जिसमें सन् 2017 में वृद्धि प्रतिशत 3.48 है जबकि सन् 2018 में वृद्धि प्रतिशत 44.38 है। बस्तर जिला में देशी बिक्री का दर निरंतर वृद्धि होती जा रही है जो कि बस्तर के लिए समस्या का विषय हो सकता है।
तालिका क्रमांक 9 में विदेशी मंदिरा की खपत ब्रिकी मात्रा दर्शाया गया है जिसमें सन् 2017 में वृद्धि प्रतिशत-58.61 है जबकि सन् 2018 में वृद्धि प्रतिशत 25.65 है। अध्ययन से जानकारी मिलती है कि बस्तर में विदेशी मंदिरा की खपत मात्रा बढ़ती जा रही है जो एक समस्या का विषय बना हुआ है।
तालिका क्रमांक 9 में विदेशी मंदिरा माल्ट की खपत ब्रिकी मात्रा दर्शाया गया है जिसमें सन् 2017 में व्द्धि प्रतिशत-42.43 है, जबकि सन् 2018 में वृद्धि प्रतिशत-49.28 है। आंकड़ों के आधार पर कह सकते है कि विदेशी मंदिरा माल्ट की खपत मात्रा कम हो रही है।
तालिका क्रमांक 9 विदेशी मंदिरा माल्ट की खपत बिक्रि मात्रा माह मार्च 2017-18
तालिका क्रमांक 10 उपलंभन कार्यः-प्रकारण माह -मार्च 2017-18
तालिका क्रमांक 11 अपराधीक प्रकारण बस्तर जिला जगदलपुर छ.ग.(2015-16)
तालिका क्रमांक 10 में उपलंभन कार्य प्रकारण दर्शाया गया है जिसमें सन् 2017 में व्द्धि प्रतिशत-18.18 है, जबकि सन् 2018 में वृद्धि प्रतिशत-40.71 है। अध्ययन के आधार पर उपलंभन कार्य प्रकारण कम होती हुई दिखाई देती है।
तालिका क्रमांक 12 में विभिन्न प्रकार के शराब से सम्बंधित अपराधों को दर्शाया गया है जिसमें सबसे ज्यादा सन् 2016-17 में अधिक है कुल 249 है, सबसे कम सन् 2017-18 में कुल अपराध संख्या 181 है। जब हम तुलनात्मक अध्ययन करे तो पता चलता है कि बस्तर जिला में निरंतर मद्यापन से संबधित अपराध में वृद्धि होती जाती है। आने वाले समय में यदि बस्तर मद्यपान की समस्या एक बड़ी समस्या बनकर वट वृक्ष का रूप धारण कर सकती है, समय रहते नहीं रोक पाते है तो इसके भयंकर परिणाम हो सकते है। जिससे बस्तर के विकास को प्रभावित करेगी।
शराब की समस्याः-
1ण् बस्तर में शराब से परिवार में कलह, आर्थिक तंगी, विघटन, हिंसा तथा समाज में अशांति का वातावरण निर्मित हो रहा है, व्यक्ति अपनी पूरी क्षमता से कार्य नहीं कर पाता।
2ण् बस्तर की विकास दर भी प्रभावित हो रहा है। शराब से सबसे अधिक पीड़ित महिलायें हैं।
3ण् बस्तर में शराब के कारण वाहनों की दुर्घटनायें बढ़ रही हैंै।
4ण् शराब के कारण मनुष्य शारीरिक-मानसिक एवं नैतिक रूप से खोखला होता जा रहा है। जिसके कारण समाज में महिलाओं के विरूद्ध अपराध, बच्चों के विरूद्ध अपराध, हत्या चोरी आदि की घटनायें बढ़ती जा रही हैंै।
5ण् शराब के कारण युवक अपनी पढ़ाई नही कर पाते है।
समाधानः-
1ण् प्रत्येक ग्राम पंचायतों में शराब को रोकने के लिए संगठन बनाने की आवष्यकता है। जिसमें सदस्यों का चयन संबंधित ग्राम से ही किया जावेगा, जिसमें विषेश कर महिला पंच, महिला स्व-सहायता समूह, मितानिन आदि महिलायें इसकी सदस्य हो सकेगीं। संगठन के सदस्य वही होगें जो मदिरा का सेवन नहीं करते हो।
2ण् प्रत्येक ग्राम में शराब मुक्ति हेतु नारे, लेखन, पोस्टर, पाम्प्लेट आदि के माध्यम से व्यापक प्रचार-प्रसार करना। नारे स्थानीय भाषा में लिखे जाये तो ज्यादा प्रभावी होगा।
3ण् पुरूस्कार का वितरण किया जाना चाहिए जो भी व्यक्ति, समूह, संस्था इस अभियान में महत्वपूर्ण कार्य करती है एवं जिसका विशेष योगदान रहता हैं, ऐसे व्यक्ति, समूह, संस्था को नगद राशि से पुरूस्कार किया जाना चाहिए।
4ण् नियमित शराब सेवन करने वाले लोगों का चिन्हांकन करना एवं सतत् सम्पर्क कर समझाईश देना एवं शराब से उत्पन्न होने वाली बीमारी एवं बुराईयों के बारे में जानकारी देना तथा समाज की मुख्य धारा में जोड़ने का प्रयास करना।
5ण् गांव में स्थित स्कूलों में शराब व्यसन मुक्ति के संबंध में निबंध एवं भाषण प्रतियोगिता, वाद-विवाद प्रतियोगिता, नुक्कड़ नाटक (कला मण्ड़ली के सहयोग से) आदि का आयोजन करना तथा विजयी प्रतिभागियों को सम्मानित करना।
6ण् प्रत्येक जिलों में नशा मुक्ति केन्द्रों की स्थापना होनी चाहिए।
7ण् ऐसे व्यक्ति जो शराब पीने के आदी हैं उनके लिये नशा मुक्ति केन्द्र की स्थापना किया जाना चाहिए।
निष्कर्षः-
बस्तर की भावी पीढ़ी का स्वास्थ्य ही सुंदर बस्तर के निर्माण में सहायक है अतः शराब बंदी जैसे मुद्दे पर समग्र बस्तर हेतु दृष्टिगत होकर सोचा जाना आवष्यक है। बस्तर संस्कृति को हमलों और अपराधों से बचाने के लिए भी जरूरी है कि शराबबंदी जैसे कवच से बस्तर की रक्षा की जाए, क्योकि यह माना ही जा चुका है कि शराब ही हर गलत कार्य की जननी है।
संदर्भ ग्रन्थः-
1ण् चन्द्रसेन-नशीले पदार्थ, सहयोग प्रकाशन दिल्ली 2000 पृ.19
2ण् चन्द्रसेन-मद्य-निषेध नशे का व्यसन, शारदा प्रकाशन, महरौली, नई दिल्ली संस्करण 2001। पृ. 20-22, 64-6
3ण् उप निरीक्षक अबकारी अधिकारी जिला बस्तर छ.ग. दिनांक 06.08.2018
4ण् जिला आबकारी अधिकारी बस्तर जिला बस्तर दिनांक 10.06.2018
Received on 11.12.2018 Modified on 23.01.2019
Accepted on 12.02.2019 © A&V Publications All right reserved
Int. J. Rev. and Res. Social Sci. 2019; 7(1):20-26.